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लेखनी कहानी -07-Apr-2022 करुणा

मैंने कल जो कहा था वह आज सच हो गया है । मेरा भविष्यवक्ता का रूप भी अब स्थापित हो गया है । कल "वीर रस" की "टांग खिचाई" करते करते कह दिया था कि अभी तो और "रसों" को "निचोड़ने" का अवसर भी मिलेगा ।पर यह अवसर इतनी जल्दी मिल जायेगा, ऐसा कल सोचा नहीं था । 

आज "छमिया भाभी" छम छम करती हुई , कमर मटकाती हुघ  इधर ही आ रही थी ।  चेहरे पर गुस्से की लाली उनके सौंदर्य को और बढ़ा रही थी । आते ही कहने लगीं " एक बात बताओ भाईसाहब, क्या सारी करुणा का ठेका हम औरतों ने ही ले रखा है" ?

प्रश्न बड़ा तीखा था और जिस अंदाज में पूछा गया था वह तो और भी खतरनाक था । अब हम छमिया भाभी को नाराज करने की हिम्मत तो नहीं उठा सकते थे ना । मगर क्या करते, बात तो सही कहनी थी , चाहे वह कड़वी ही क्यों ना हो ? वैसे देखा जाये तो यह बात सोलह आने सही है कि सत्य कड़वा होता है । इसे हर कोई पचा नहीं सकता है । सुबह सुबह ही श्रीमती जी को मस्का लगाना पड़ता है "आज तो गजब ढ़ा रही हो" । इतना सुनते ही वह हवा में उड़ने लगती हैं । पर वह यह नहीं सोचती कि वह क्या कल गजब नहीं ढ़ा रही थी ? और यदि ढ़ा रही थी तो फिर कल और आज में क्या अंतर है ? 

पर पत्नियां इतना कहाँ सोचती हैं ? ऐसे "मीठे वचन" सुनकर किसी की बुद्धि कहाँ काम करती है ? उन्हीं शब्दों की मिठास में डूबी हुई वह बढ़िया सा नाश्ता तैयार करने में लग जाती हैं । कसम से, जिस दिन मैं ये शब्द बोलता हूं उस दिन नाश्ते में "वैरायटी" भी बढ़ जाती है और "मिठास" भी । 

पर एक बात मेरी समझ में नहीं आई । ये पत्नियां ही पतियों से यह क्यों सुनना चाहती हैं कि बड़ी "कातिल" लग रही हो या "हसीन" लग रही हो । पर वे कभी अपने पति से कहती नहीं कि "बड़े डैशिंग लग रहे हो आज तो ? मार ही डालोगे क्या" ? एक तरफ  तो वो कहती हैं कि वे बराबर की हकदार हैं तो फिर पति को भी "ऐसी मीठी डोज" क्यों नहीं मिलनी चाहिए ?  बेचारा "डांट वाली डिश" खाते खाते अधमरा सा हो गया है । 

छमिया भाभी को जवाब अभी तक दिया नहीं था । अगर थोड़ी देर और नहीं दिया तो वे उखड़ सकती थीं । वैसे एक बात यह भी है कि इन हसीन चेहरों पर गुस्सा तो ऐसे रखा रहता है जैसे सूरज पे लाली । और वे जब गुस्सा करती हैं तो फिर कुछ भी हो सकता है । ये बात उनके पति आदरणीय भुक्कड़ सिंह से बेहतर और कौन जान सकता है जिनकी हड़ी पसली गवाही दे रहे हैं ? 

हमने कुछ सोचते हुए कहा "भाभी, आप बात तो सही कह रही हो । करुणा का सारा ठेका स्त्री को दे दिया है भगवान ने । दरअसल भगवान जी को भी दोनों पक्षों यानि औरत और मर्द , को बराबर रखना था । यदि वे ऐसा नहीं करते तो महान "नारीवादी" लोग उन पर झूठे इल्जाम लगा देते पक्षपात का । इसलिए उन्होंने निष्पक्षता बरतते हुए  गुणों को दो भागों में बांट दिया । एक तरफ बर्बरता, क्रोध, हिंसा, कठोरता, निर्दयता आदि गुण रखे गए तो दूसरी तरफ कोमलता, विनम्रता, ममता, क्षमा, सहनशीलता, संयम, करुणा वगैरह रखे गए । पहला वाला "बंच" मर्दों को और दूसरा औरतों को दे दिया । तो फिर करुणा वगैरह गुणों पर स्त्रियों का एकाधिकार हो गया । इसलिए ही स्त्रियां करणा की सागर, ममता की मूर्ति, क्षमा की खान, धीरज, संयम की पराकाष्ठा और विनम्रता की देवी कहलाती हैं। 

हमारे जवाब से भाभी बहुत प्रसन्न हुईं । लेकिन थोड़ा सोचकर बोलीं " मगर अब तो आये दिन ऐसे समाचार मिलते रहते हैं कि पत्नी ने प्रेमी संग मिलकर पति और बच्चों का कत्ल किया । रिश्तों का कत्ल तो वह बहुत पहले से करती आई थी । ऐसा क्यों हुआ" ? 

शायद हमारी बुद्धि का इम्तहान ले रही थीं छमिया भाभी । वैसे उन्हें सारे अधिकार हैं । वे कुछ भी ले सकती हैं ? इम्तहान तो बहुत छोटी सी चीज है । 
हमने कहा 
"भगवान ने जब सारे गुणों का दो भागों में विभाजन कर दिया और फर्स्ट प्रायरिटी महिलाओं को ही दी थी । उन्होंने इन सद्गुणों को मांग लिया और इन गुणों पर उनका एकाधिकार हो गया । 

कालांतर में कलयुग के प्रभाव से महिलाओं में एक प्रकार की सुगबुगाहट होने लगी । "ये कोमल कोमल गुण ही हमको क्यों दिये ? हम लोग कोई मर्दों से कम हैं क्या ? अगर मर्द लोग हिंसा कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं " ? इस प्रकार की बातें करती हुई अनेक औरतें दिखने लगीं ।

एक दिन कुछ औरतें इकट्ठा हुईं और उन्होंने सभी औरतों की मीटिंग बुलाई । प्रस्ताव पारित किया गया कि एक प्रतिनिधिमंडल भगवान के पास जायेगा और निवेदन करेगा कि गुणों का बंटवारा भी बराबर होना चाहिए । हिंसा, कठोरता जैसे गुण हम स्त्रियों को भी मिलने चाहिए । भगवान बेचारे क्या करते ? एक तो आजकल लोकतांत्रिक व्यवस्था में "वोट बैंक" बहुत बड़ी चीज है । जिसके पास जितना बड़ा वोट बैंक , उतना अधिक सत्ता पर उसका अधिकार । फिर नारीवाद के चलते नारियों का वोट भी अब "एकमुश्त" पड़ने लगा है । ऐसी स्थिति में नारियों को नाराज करने का जोखिम भगवान भी नहीं ले सकते थे । इसके अलावा उन्हें "दुष्कर्म वगैरह" का आरोप लगाकर "अंदर" करवाने का "लाइसेंस" भी तो मिला हुआ है इन नारियों को । भगवान सोचते होंगे कि मेरा तो जन्म ही "जेल" में हुआ था इसलिए अब और जेल जाने की ख्वाहिश नहीं है । भलाई इसी में है कि चुपचाप बात मान लो और पीछा छुड़ाओ । 

उस घटना के बाद से स्त्रियों के स्वभाव में हिंसा, कठोरता जैसे नकारात्मक गुण प्रविष्ट हो गए । अब स्त्रियां स्त्रियों को ही प्रताड़ित करने लगी । कभी दहेज के नाम पर तो कभी बांझ होने के नाम पर । कभी बेटी पैदा करने के नाम पर तो कभी विधवा के नाम पर । और तो और ऐसे नकारात्मक गुणों का असर यह हुआ कि स्त्रियों के पास जो सकारात्मक गुण जैसे विनम्रता, करुणा वगैरह थे , वे अब लुप्त होने लगे । कोई जमाने में लोग बेटियों का नाम करुणा, नम्रता, कोमल , क्षमा , शीला वगैरह रखते थे । क्या आजकल कोई ऐसे नाम रखता है अपनी बेटियों के ? नहीं ना ? वो इसलिए कि मां बाप चाहते हैं कि उनकी बेटी "करुणा" की मूर्ति नहीं दिखे बल्कि "दुर्गा" की अवतारी दिखाई दे । 

अब क्या है कि नारियों में बराबरी की होड़ चल रही है । पत्नी के रहते अन्य किसी से प्रेम करने का अधिकार केवल पुरुष को ही क्यों हो ? इसलिए अब स्त्रियां भी विवाहेत्तर संबंध बना रही हैं । सोशल मीडिया ने इस प्रक्रिया को बहुत तेजी से बढ़ाया है । प्रतिलिपि , स्टारमेकर , व्हाट्सएप, फेसबुक वगैरह ने पुरुषों और स्त्रियों को नजदीक ला दिया है । जब माचिस और पेट्रोल पास पास होंगे तो "आग" तो लगनी स्वावाभिक है । इस आग में "पति और बच्चे" जलकर खाक हो रहे हैं तो इसमें स्त्रियों का क्या दोष  ? 

सास बहू का "खानदानी रिश्ता" पीढियों से चला आ रहा था । सास बहू का शोषण करती थी । जब बहू सास बन जाती थी तब वह भी अपनी बहू का शोषण कर "बदला" ले लेती थी । मगर अब वक्त बदल गया । अब बहू ताकतवर हो गई । अब वह अपनी सास का शोषण करने लगी । कहने का मतलब है कि "शोषण" तो होगा । और यह भी सत्य है कि "शोषण" ताकतवर ही करता है । 

तो अब महिलाएं उतनी "करुण" , विनम्र , शीलवती नहीं रहीं । वे भी पुरुषों के बराबर लगभग आ गई हैं । जहां जैसा अवसर हो वहां पर वैसे गुण अख्तियार कर लेती हैं । जब विक्टिम दिखना हो तो करुणा के भाव ओढ़ लेती हैं और जब अपने वृद्ध सास ससुर पर अत्याचार करने हों तो पूरी "रणचंडी" बन जाती हैं । और जब स्वार्थ का मुलम्मा चढा हो तो लालची, कातिल, लुटेरी, हत्यारी भी बन जाती हैं । 

हमारी इस तकरीर से छमिया भाभी संतुष्ट नजर आ रही थीं । 
हरि शंकर गोयल "हरि"
7.4.22 


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13 Comments

Abhinav ji

08-Apr-2022 11:20 PM

Nice👍

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Anam ansari

07-Apr-2022 07:37 PM

Nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

07-Apr-2022 07:59 PM

💐💐🙏🙏

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Seema Priyadarshini sahay

07-Apr-2022 02:50 PM

बहुत खूबसूरत

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Hari Shanker Goyal "Hari"

07-Apr-2022 07:58 PM

💐💐🙏🙏

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